सीबीएसइ स्कूलों में मिलेगा पंडवानी और कारगट्टम जैसी कलाओं का ज्ञान, निर्देश जारी संस्कृति और विरासत क्लब का किया जाएगा गठन
श्रीगंगानगर. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबंधित देशभर के स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थी अब दक्ष गुरुओं से पंडवानी और कारगट्टम जैसी कलाओं को सीख पाएंगे। इसके लिए बोर्ड ने स्कूलों में सांस्कृतिक और विरासत क्लब गठित करने के निर्देश जारी किए हैं। इस कार्यक्रम के साथ स्पिक मैके को भी जोड़ा जाएगा। जोकि विभिन्न राज्यों की 15 अलग-अलग कलाओं को विशेषज्ञों के माध्यम से बच्चों तक पंहुचाएंगे। इन कलाओं में मधुबनी पेंटिंग को भी शामिल किया गया है। दरअसल बच्चों को भारतीय संस्कृति व विरासत की जानकारी देने के लिए यह अच्छी पहल है। बोर्ड की ओर से सभी स्कूलों को क्लब के गठन के साथ रिपोर्ट अपलोड करने के भी निर्देश जारी किए हैं। सीबीएसइ ने कहा है कि समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, विविधता, परंपरा, भारतीय उप महाद्वीप की भौगोलिक विविधता के बारे में जानकारी देना एनसीएफ-एसई 2023 का एक महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम लक्ष्य भी है।
बोर्ड की ओर से सभी स्कूलों में संस्कृति और विरासत क्लब स्थापना के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।जिसकी पालना करवाई जा रही है। विद्यार्थियों में इन क्लबों को लेकर काफी उत्सुकता और जिज्ञासा है।-एम.एस. विग, प्रधानाचार्य, गुरु हरकिशन पब्लिक स्कूल, श्रीगंगानगर
एक्सपर्ट व्यू
स्पिक मैके दुनिया के विभिन्न हिस्सों से शास्त्रीय कला के उस्तादों के साथ सहयोग करता है और उन्हें प्रोत्साहित करते हुए देश के युवाओं तक लाता है। स्कूलों में इन विरासत क्लबों के गठन से बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ व्यक्तित्व निर्माण में भी लाभ मिलेगा। -भूपेश शर्मा, जिला समन्वयक, विद्यार्थी सेवा केंद्र, श्रीगंगानगर
स्पिक मैके इसमें गतिविधियों के विभिन्न पहलुओं को शामिल करता है। इसमें शास्त्रीय और लोक कलाओं से लेकर विरासत की सैर और प्रख्यात व प्रेरक व्यक्तित्वों के साथ बातचीत भी शामिल है। इसके साथ ही योग, ध्यान, नाद, माइंडफूलनेस, शास्त्रीय कला, लोक कला, रंगमंच थिएटर, सांस्कृतिक टूर, कठपुतली, पेंटिंग, नक्काशी तथा वार्ता जैसी गतिविधियों को शामिल किया जाता है।
समग्र शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा
बोर्ड के अनुसार बच्चों के सर्वागीण विकास में समग्र शिक्षा का विशेष महत्व है। समग्र शिक्षा के साथ सह शैक्षिक गतिविधियां बच्चों के भविष्य को रोशन बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं। इनमें संगीत, नृत्य, कला एवं भारतीय संस्कृति आदि प्रमुख है। यही सांस्कृतिक विरासत बच्चों में संतुलन, स्वयं की संतुष्टि जैसे भाव विकसित करती है जो उनके जीवन को सहज और सशक्त बनाता है।
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