कला कॉलेज में रखी ईवीएम, विद्यार्थियों की पढ़ाई हो रही प्रभावित
अलवर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा का चुनाव ईवीएम मशीन और मतगणना केन्द्र के रूप में बाबू शोभाराम राजकीय कला महाविद्यालय का अधिग्रहण किया जाता है। अधिग्रहण करने के बाद महाविद्यालय की कई व्यवस्थाएं डगमगा जाती हैं। इतना ही नहीं मतगणना के बाद भी चुनाव सामग्री महाविद्यालय में जमा रहती है। इससे महाविद्यालय में विद्यार्थियों की कक्षाएं भी प्रभावित होती रही हैं। विधानसभा चुनाव प्रक्रिया खत्म होने के बाद भी ईवीएम अभी लंबे समय तक कॉलेज के कमरों में बंद रहने की संभावना है। जबकि लोकसभा चुनाव के लिए आगामी मार्च में भवन का फिर से अधिग्रहण किया जा सकता है। इसलिए लोकसभा चुनाव के लिए ईवीएम को यहीं रखे जाने की संभावना है। लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद नगर निगम के चुनाव की तैयारी शुरू हो जाएगी। ऐसी दशा में प्रशासन की ओर भवन का खाली करने की उम्मीद नहीं है।
45 दिन का होता है नियम, फिर हटता है अधिग्रहण : चुनाव के दौरान किसी महाविद्यालय को मतगणना के लिए अधिग्रहण करने के बाद 45 दिनों तक ईवीएम को मतगणना स्थल पर जमा किया जाता है। बाद में प्रशासन की सुविधा के अनुसार अन्य जगहों पर ईवीएम भेजी जाती है। लेकिन कला महाविद्यालय को चुनाव के लिए अधिग्रहण करने से पहले ही तीन कमरों में चुनावी सामग्री से रखा गया है। ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों की कक्षाएं सुचारू रूप से नहीं लग पा रही है। विद्यार्थी भी परेशान होने लगे हैं। वहीं, महाविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि यदि ईवीएम और चुनावी सामग्री वाले कमरों को विभाग खाली कर देगा तो विद्यार्थियों को बैठने की उचित जगह मिल जाएगी।
ईवीएम निगरानी के लिए तैनात दो जवान
महाविद्यालय के छह कमरों में ईवीएम मशीन की निगरानी के लिए दो पुलिस के जवान तैनात किए हैं। जो दिन-रात कमरों की निगरानी कर रहे हैं। ईवीएम मशीन वाले कमरों को चुनाव विभाग की ओर से सील्ड किया गया है। पुलिस के जवानों की ओर से रात में कमरों पर गश्त दी जाती है और यहां पर रात को आना प्रतिबंध किया गया है।
जब कोई चुनाव होता है तब महाविद्यालयों को अधिग्रहण किया जाता है। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होने का डर रहता है और भवन में काफी बदलाव होता है। मतगणना के बाद भवन का फर्नीचर को सेट किया जाता है तथा कमरों में कई सारे बदलाव किया जाते हैं। दीवार पर निशान भी लगाए जाते हैं। अधिग्रहण के बारे में जिला प्रशासान से बात की है।
अशोक आर्य, प्राचार्य कला महाविद्यालय, अलवर।
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