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मंगलवार, 12 दिसंबर 2023

रीट परीक्षा में गड़बड़ी की फिर बदली जांच, सात दिन में मांगी रिपोर्ट



रीट परीक्षा में गड़बड़ी की फिर बदली जांच, सात दिन में मांगी रिपोर्ट

नागौर. करीब सवा दो साल पहले रीट परीक्षा में नकल व पेपर लीक मामले की जांच एक बारगी फिर बदल दी गई है। इस बार रिपोर्ट अतिशीघ्र पेश करने के आदेश दिए गए हैं। सूत्रों के अनुसार सितम्बर 2021 में रीट परीक्षा में पेपर के लेन-देन में फंसे कॉलेज संचालक समेत पांच जनों के मामले की जांच अब अजमेर रेंज एएसपी दिनेश कुमार यादव (एचसीएमयू-सीआईडी-सीबी) को सौंपी गई है। एडीजी (अपराध) की ओर से जारी पत्र में दस मामले का प्रथम प्रगति प्रतिवेदन सात दिन के भीतर पेश करने को कहा है। साथ ही अनुसंधान त्वरित गति से पूरा कर रिपोर्ट शीघ्राति शीघ्र पेश करने के आदेश दिए गए हैं। करीब ग्यारह महीने से यह जांच एएसपी नेमसिंह (एचसीएमयू-सीआईडी-सीबी) के पास थी। रीट में अच्छे नंबर के लिए प्रश्न उपलब्ध कराने की एवज में परीक्षार्थियों से लाखों रुपए लेने के इस मामले में सूफिया नर्सिंग कॉलेज के संचालक जावेद, भाई खालिद के साथ सरकारी शिक्षक श्रवणराम विश्नोई, रामनिवास बसवाना और रामकुंवार को सितम्बर-21 में गिरफ्तार किया गया था। एसओजी के निर्देश पर उस दौरान यह कार्रवाई बड़ी मानी गई थी। इन पांचों पर कोतवाली थाने में धारा 419,420, 120 बी के तहत मामला 26 सितम्बर 21 को दर्ज हुआ था।



तीन दर्जन हुए थे गिरफ्तार

सितम्बर-21 में रीट परीक्षा में नकल व पेपर लीक के अलग-अलग मामले में जिलेभर से करीब तीन दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। सूफिया कॉलेज संचालक से जुड़ा मामला बड़ा था, वो इसलिए भी कि इसमें काफी परीक्षार्थियों से डील करने की बात सामने आई थी। परीक्षा से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीडियो कॉन्फ्रेंङ्क्षसग में आदेश दिए थे कि नकल व पेपर आउट करने में शामिल संस्थान की मान्यता रद्द होगी और कार्मिक बर्खास्त किए जाएंगे, इसके बाद भी यहां कुछ नहीं हुआ।


करीब दस माह पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध शाखा) की ओर से इस मामले का अनुसंधान अधिकारी नेम सिंह को बनाया है। मामले की जांच रफ्तार नहीं बढ़ी तो यह फिर बदलकर दिनेश कुमार यादव को सौंप दी गई। अप्रेल-2022 में इस मामले में चालान पेश करने के आदेश भी हो गए थे। इनका जुर्म प्रमाणित बताते हुए आगे कोई तफ्तीश शेष नहीं होने का हवाला देते हुए इसकी तैयारी होती, इससे पहले ही मुख्यालय तक अपने रसूख/राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल करवाते हुए इसके पुनरावलोकन कर रिपोर्ट पेश करने का फरमान जारी करवा दिया गया। इसका नतीजा भी पूर्व की तरह रहा, ऐसे में तीसरी बार जांच में फेरबदल कर एएसपी नेमसिंह को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। अब दिनेश कुमार यादव चौथे जांच अधिकारी हैं। इससे पहले कोतवाली के तत्कालीन थाना प्रभारी विजेंद्र सिंह व सीओ विनोद कुमार सीपा ने इस मामले की जांच की थी।


सितम्बर 21 में रीट की परीक्षा से पहले ही पेपर देकर अच्छे नंबर से पास कराने की इस डील का खुलासा हुआ था। सरकारी शिक्षक श्रवणराम विश्नोई, रामनिवास बसवाना और रामकुंवार एजेंट के रूप में काम कर रहे थे। इन पर परीक्षार्थी से बात करके व्हाट्स एप के जरिए कॉलेज संचालक जावेद से इसकी डील कराने के आरोप थे असल में जावेद के जरिए खालिद 140 सवाल देकर अच्छे रिजल्ट के बदले दस-दस लाख रुपए की डील की भी बात सामने आई थी। अधिकांश चेङ्क्षटग खालिद से हो रही थी, जबकि उसमें जावेद के जरिए ही आगे डील का इशारा तय किया जा रहा था। खालिद के अलावा तीनों शिक्षकों का मोबाइल खंगाला गया तो दर्जनों प्रवेश पत्र मिले थे। तीनों शिक्षक अब भी निलम्बित चल रहे हैं। रामकुंवार वर्ष 2018 में रीट परीक्षा में नकल करवाते पकड़ा गया था।


इनका कहना

जांच मिली है, चुनाव के चलते थोड़ा समय कम मिल पाया। जल्द से जल्द अनुसंधान पूरा कर रिपोर्ट पेश करेंगे।-दिनेश कुमार यादव, एएसपी (एचसीएमयू-सीआईडी-सीबी), अजमेर रेंज


इससे जुड़े अलग-अलग मामले में करीब तीस जने हुए थे गिरफ्तार

सूत्रों का कहना है कि एडीजी (अपराध) की ओर से दिनेश कुमार यादव को जांच सौंपने का यह पत्र 22 नवंबर को जारी हुआ था। इसमें सात दिन में रिपोर्ट मांगी गई थी। चुनाव के चलते फिलहाल जांच नहीं हो पाई। करीब बीस महीने पहले ही इन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश करने के आदेश हुए थे।

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