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मंगलवार, 5 मार्च 2024

अभिभावक बच्चों को अफसर बनाने की सोच रहे, यहां तो लगवाया जा रहा झाडू पढ़ाई से पहले सफाई की जिम्मेदारी, स्कूल खोल बच्चे लगाते हैं झाड़ू

 



अभिभावक बच्चों को अफसर बनाने की सोच रहे, यहां तो लगवाया जा रहा झाडू पढ़ाई से पहले सफाई की जिम्मेदारी, स्कूल खोल बच्चे लगाते हैं झाड़ू


विद्यालय में सफाई होने के बाद पहुंचते हैं प्रधानाचार्य व स्टाफ

धौलपुर. सरकारी विद्यालय में प्राथमिक कक्षा के बच्चों को पढऩे से पहले झाड़ू लगानी पड़ रही हैं। झाडू पहले पढ़ाई बाद में शुरू होती है। स्कूल के दरवाजे खुलते ही छोटे-छोटे बच्चे रोजाना की तरह झाडू थाम लेते हैं, फिर कक्षा और आंगन से कचरा निकालते हैं। बच्चों का कहना है कि अगर झाड़ू नहीं लगाते हैं तो मैम नाराज होती हैं। इसलिए झाडू से कक्षा-कक्ष साफ करते हैं। दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में शिक्षा का ढांचा सुधारने के लिए सरकार वादे कर रही है। लेकिन यहां तो शिक्षा दूसरे पायदान पर है। कई स्कूलों में शिक्षक बच्चों से झाड़ू लगवाने से गुरेज नहीं कर रहे। सोमवार को जब पत्रिका टीम ने पड़ताल की तो कई विद्यालय में शिक्षक देरी से आते दिखाई दिए। यहां सैंपऊ ब्लॉक के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय उमरारा में सुबह बच्चे झाड़ू लगा रहे थे।  


बच्चों का कहना था कि उन्हें रोजाना स्कूल में झाड़ू लगानी पड़ती है उसके बाद ही पढ़ाई शुरू होती है। प्राथमिक कक्षा में पढऩे वाले बच्चे डर की वजह से कुछ ज्यादा नहीं बता रहे थे। लेकिन एक-दो बच्चों से पूछा उन्होंने बताया कि उन्हें अपने कक्षा-कक्ष में झाडू लगानी पड़ती है। पत्रिका टीम ने पूछा की स्कूल की चाबी किसके पास रहती है तो बच्चों कहा कि स्कूल के पास एक चाचा की दुकान से चाबी मिलती है। जिसके बाद विद्यालय का ताला खोलकर अंदर आते हैं। उसके बाद सफाई करने में लग जाते हैं। जबकि विद्यालय में प्रधानाचार्य को सबसे पहले पहुंचना चाहिए। लेकिन विद्यालय की प्रधानाचार्य स्कूल में सफाई होने के बाद आराम से पहुंच रहे हैं।


नहीं छूट रही बच्चों के हाथों से झाडू

सरकारी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों के हाथों से झाडू नहीं छूट रही है। जिससे स्कूल में पढऩे वाले बच्चों का पढ़ाई स्तर नहीं सुधर पा रहा है। शिक्षा विभाग ने सभी अधिकारियों व सीबीईओ को उनके क्षेत्र में आने वाले विद्यालय में निरीक्षण करने के लिए आदेश जारी किए हैं। लेकिन इसके बाद भी बच्चों को पढ़ाई करने से पहले सफाई करवा रहे हैं। अधिकारियों का निरीक्षण कागजों में ज्यादा दिख रहा है।


जिले की रैंक भी खराब

बता दें कि धौलपुर जिले की शिक्षा रैङ्क्षकग पहले ही खराब है। पिछले साल दिसम्बर 2023 में रैंक 32वीं थी। इस साल जनवरी 2024 में रैंक 29वीं रही। हालांकि, काफी हो-हल्ला होने पर गत माह में सुधार हुआ और रैंक 3 पर पहुंच गई। लेकिन स्थिरता नहीं है।


विद्यालय में बच्चे झाडू लगाते हैं तो यह गलत है। विद्यालय का निरीक्षण कर आगे की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।-राजेश कुमार शर्मा, सीबीईओ, सैंपऊ धौलपुर


बड़े-बड़े सपने यहां हो रहे धुंधले

क्षेत्र के गांव में गरीब परिवार के सदस्यों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने के लिए उनके पास कोई आमदनी का जरिया नहीं हैं। इसलिए वह सरकार की ओर से संचालित सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए दाखिला कराते हैं। लेकिन यहां पर बच्चों को पढऩे से पहले सफाई करनी पड़ती है। अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाकर अफसर बनाने की सोच रहे हैं लेकिन पढ़ाई से पहले झाडू लगवाया जा रहा है।


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