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बुधवार, 24 अप्रैल 2024

सुस्त रवैया: स्वास्थ्य जांच में फेल स्कूल, फिर कैसे सुधरे नौनिहालों की सेहत,सरकारी स्कूलों में साल में दो बार अनिवार्य है बच्चों के स्वास्थ्य की जांच

 

सुस्त रवैया: स्वास्थ्य जांच में फेल स्कूल, फिर कैसे सुधरे नौनिहालों की सेहत,सरकारी स्कूलों में साल में दो बार अनिवार्य है बच्चों के स्वास्थ्य की जांच


स्कूलों में बच्चों को आयरन की पिंक ब्लू गोली देकर ही इतिश्री की जा रही है। वहीं बच्चों को सेहतमंद बनाने की जिम्मेदारी भी पूरी की जा रही है, जबकि इसकी अनिवार्यता होने के बावजूद स्कूलों में स्वास्थ्य परीक्षण नहीं हो रहा है। यही नहीं इस गतिविधि की भी मॉनिटरिंग भी नहीं पा हो रही है। ऐसे में स्कूली बच्चों को सेहतमंद बनाए रखने की सरकारी कवायद फेल होती नजर आ रही है।


डेढ़ लाख से अधिक बच्चे अध्ययनरत

जिलेभर के सरकारी स्कूलों में करीब डेढ़ लाख से अधिक बच्चे अध्ययन करते हैं। पिछले दो-तीन साल से मांगने पर स्वास्थ्य परीक्षण कार्यक्रम की खानापूर्ति रिपोर्ट दाखिल की जा रही है। स्कूलों में न स्वास्थ्य संबंधी रजिस्टर दिख रहा है न ही चिह्नित बच्चों का रेकॉर्ड। ऐसे में बच्चों की बीमारी का कुछ अता-पता नहीं है। वैसे तो साल में यह प्रक्रिया दो बार की जानी चाहिए, पर यहां तो दो-तीन साल में एक बार भी नहीं हुई है।


यह है अनिवार्य नियम

जानकारी के अनुसार हर स्कूल में सालभर में दो बार स्वास्थ्य परीक्षण करवाने की अनिवार्यता है। इसमें कोई बड़ी बीमारी से ग्रसित पाया जाता है तो उसका रेफर कॉर्ड बनने और अस्पताल से दवा दिलाने के साथ दिखवाने की भी अनिवार्यता है। हर स्कूल में एक रजिस्टर रखने को कहा गया था। इसमें हर बच्चे का वजन, लम्बाई समेत स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दर्ज करना जरूरी था। ये दोनों शिविर सत्र की शुरुआत जुलाई-अगस्त और फिर दिसम्बर व जनवरी में लगाने होते हैं। इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी ब्लॉक वार टाइम-टेबल तय कर निर्देश देकर यह कार्य सम्पन्न करवाते हैं।


यह आया सामने

अभिभावक नाहर पटेल निवासी भूरी पहाड़ी, डूंगरी निवासी रामराज मीना, खाट गांव निवासी महावीर मीना ने बताया कि स्कूलों में पिछले दो-तीन साल में तो एक बार भी स्वास्थ्य परीक्षण नहीं हुआ। पहले तो चिकित्सक, कम्पाउण्डर के जरिए औपचारिक तौर पर तो परीक्षण होता था। लेकिन बीते सालों से बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण नहीं हो रहा है।



फैक्ट फाइल

-जिले में पहली से 12वीं तक संचालित कुल स्कूल- 1048

-पहली से 12वीं तक अध्ययनरत विद्यार्थियों की संख्या- डेढ़ लाख

-जिले में पहली से आठवीं कक्षा तक कुल संचालित स्कूल- 684

-विद्यार्थियों की संख्या- 1 लाख 14 हजार 658


जुलाई-अगस्त और दिसम्बर व जनवरी में लगाने वाले है शिविर।

गंगापुरसिटी. सवाईमाधोपुर. सरकारी स्कूलों में नौनिहालों के स्वास्थ्य की देखभाल भगवान भरोसे है। सरकारी स्कूल में बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण को शिक्षा अधिकारियों का ग्रहण लगा है। साल में दो बार होने वाला स्वास्थ्य परीक्षण का काम कोरोना के बाद से ठप है। कोरोना के बाद से एक बार भी सरकारी स्कूलों के बच्चों की सेहत की जांच नहीं कराई है। ऐसे में शिक्षा विभाग की नौनिहालों के प्रति उदासीनता नजर आ रही है।


बच्चों के सेहत की नहीं चिंता

शिक्षा अधिकारियों व संस्था प्रधानों को बच्चों के सेहत की कोई चिंता नहीं है। हर स्कूल में बच्चों के स्वास्थ्य की जांच के सबंध में रजिस्टर होना चाहिए। इस संबंध में राज्य सरकार व शिक्षा विभाग से जिले के समस्त विद्यालयों में छात्र-छात्राओं का समय पर स्वास्थ्य परीक्षण कराने के संबंध में मांग की जाएगी।-अशोक राजा, जिला संयोजक जिला छात्र संघर्ष समिति, सवाईमाधोपुर


इनका कहना

बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण स्कूलों में होना चाहिए। इस बारे में फिलहाल जानकारी नहीं है। सीएमएचओ ऑफिस से जानकारी ली जाएगी। नए सत्र से बच्चों के परीक्षण कराने के निर्देश दिए जाएंगे।-कृष्णा शर्मा, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, सवाईमाधोपुर



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