लास्ट इन फर्स्ट आउट नीति पर हाईकोर्ट का रोक, समायोजन प्रक्रिया पर पुनर्विचार
आज न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की बेंच में समायोजन मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं की ओर से टॉप मोस्ट सीनियर एडवोकेट श्री वीके सिंह और विद्वान अधिवक्ता श्री मान बहादुर सिंह उपस्थित रहे। समायोजन से प्रभावित हो रहे साथियों का पक्ष तेज तर्रार सीनियर एडवोकेट श्री वीके सिंह ने रखा और न्यायालय को समायोजन के शासनादेश में निहित समस्त विसंगतियों से अवगत कराया। उन्होंने जोरदार बहस करते हुए सभी तर्क प्रस्तुत किए।
न्यायालय ने सरकार और परिषद को फटकार लगाते हुए पूछा कि जब "लास्ट इन फर्स्ट आउट" की प्रक्रिया 2018 की प्रक्रिया में लखनऊ हाईकोर्ट द्वारा रद्द की जा चुकी है, तो कैसे पुनः उसी नियम से समायोजन किया जा रहा है? सरकार के पास इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। जज साहब मामले पर स्टे करने जा रहे थे, लेकिन तभी सरकार और परिषद ने कोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें अपना पक्ष लिखित में प्रस्तुत करने का समय दिया जाए और बिना उनके पक्ष को सुने स्टे न किया जाए। इसपर, न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया कि याचिका के प्रत्येक बिंदु का विस्तृत जवाब काउंटर एफिडेविट के माध्यम से दें। इसके बाद, सीनियर एडवोकेट से कहा कि सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए काउंटर का जवाब रेजॉइंडर एफिडेविट में दें। काउंटर और रेजॉइंडर के बाद मामले को तुरंत निस्तारित किया जाएगा।
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि "लास्ट इन फर्स्ट आउट" की प्रक्रिया, जो 2018 के शासनादेश के माध्यम से शुरू की गई थी, लखनऊ हाईकोर्ट द्वारा निरस्त की जा चुकी है। इससे स्पष्ट होता है कि समायोजन की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकेगी।टीम की ओर से बताया गया कि वे एक और रणनीति पर काम कर रहे हैं, जिसका परिणाम जल्द ही दिखेगा। किसी भी सूरत में "लास्ट इन फर्स्ट आउट" के आधार पर समायोजन को नहीं होने दिया जाएगा। सभी साथियों से धैर्य रखने की अपील की गई है।
अगली सुनवाई की तारीख 12 अगस्त को निर्धारित की गई है।
धन्यवाद,
रोहित एंड टीम
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