इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सरप्लस शिक्षकों के समायोजन पर लगाई रोक
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज एक महत्वपूर्ण फैसले में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर नाराज़गी जाहिर करते हुए सरप्लस शिक्षकों के समायोजन पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है। यह निर्णय रोहित एंड टीम की याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया गया।
न्यायालय की नाराज़गी और आदेश
याचिका के अनुसार, उच्च न्यायालय ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से निजी हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने विभाग की प्रक्रिया में व्याप्त विसंगतियों पर भी सवाल उठाए। अदालत ने कहा कि विभाग ने एक ओर अपने बयान में कहा था कि वे संशोधित शासनादेश/नीति जारी करेंगे, लेकिन इसके विपरीत, उन्होंने प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए एक सप्ताह में पूर्ण करने का सर्कुलर जारी कर दिया।
रोहित एंड टीम की याचिका
रोहित एंड टीम की याचिका में अदालत ने यह पाया कि विभाग के कार्यों में विरोधाभास है, जिसके चलते यह निर्णय लिया गया। कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिका को 8 अगस्त की फ्रेश लिस्ट में लगाया जाए और तब तक समायोजन प्रक्रिया को आगे न बढ़ाया जाए।
निजी हलफनामा और स्थगन आदेश
न्यायालय ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से निजी हलफनामा मांगा है और समायोजन प्रक्रिया पर 8 अगस्त तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि समायोजन प्रक्रिया में कोई भी बदलाव तभी हो सकता है जब कोर्ट द्वारा अग्रिम आदेश जारी किए जाएं।
अधिवक्ताओं की भूमिका
अधिवक्ता श्रीमान बहादुर सिंह ने कोर्ट में विभाग की विसंगतियों को प्रस्तुत किया, जिससे कोर्ट नाराज हुई और यह निर्णय लिया। रोहित एंड टीम की याचिका और बहादुर सिंह की तर्कशक्ति ने इस फैसले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह निर्णय सरप्लस शिक्षकों के समायोजन प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ है और इससे बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं। अब सभी की नजरें 8 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जब आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा।
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